इस रचनात्मक अनुशासन के कारण उनका लेखन अद्वितीय है।
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इस रचनात्मक अनुशासन के कारण उनका लेखन अद्वितीय है।
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आज भी मुझे लगता है कि विष्णु नागर जैसी रचनात्मकता के लिए बहुत गहरे आंतरिक रचनात्मक अनुशासन और संवेदनशीलता की जरूरत है, जो हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है और पत्रकारिता में रहते हुए तो यह लगभग असंभव ही है।